Thursday, February 28, 2013

कहता हूँ कुछ 
तो  करता कुछ 
मैं भरोसे के लायक नहीं 
हाँ मैं कोई नायक नहीं 
हल पल राहत में रहता 
जो तू दर्द  ना  सहता 
जब -जब खुद  को नज़रंदाज़ करोगे 
यूँही दर्द बन आँखों से बहोगे 
ऐसा ही नज़ारा हुआ करता है 
जब तू  हमसे रूठ जाया  करता है 
प्यार की डोर जो हमने बाँधी है
 उसने  ना जाने रोकी कितनी आंधी हैं 
तन्हा होते तो क्या खुद को यूँ समझ पाते 
कितना प्यार है तुमसे काश हम कह पाते 

Wednesday, February 27, 2013

मेरा यकीन करो ना  करो 
मेरे साथ चलो ना चलो 
पानी सा बहो 
या हवा सा उडो 
मन कहे जो करो 
या सब की तुम  सुनो 
कुछ कहो ना  कहो 
या  खुद से तुम  जुडो 
हँसो  या ना हँसो 
पर  रोया ना  करो 
बातों की क्या बातें करें 
आओ कुछ ऐसा करें 
जो हो नामुमकिन 
 उसकी चाहत 
हम तुम   करें 

Tuesday, February 26, 2013

बदल जाते हैं रिश्ते 
बयान हो जाते हैं किस्से 
छुपाना कितना भी चाहो 
छुपा ना  पाओगे 
हमारे  बिना रह भी ना  पाओगे 
अब सिलसिला कुछ ऐसा होगा 
कहना चाहेंगे कितना कुछ 
पर मिलना ना होगा  
यह एहसास हर किसी ने 
अपने ही लफ्जो में बयान किया है 
वक़्त के साथ साथ 
तो कुछ ने उसे भूला भी दिया है 
जो प्यार करते हैं वो मिलते रोज़ हैं 
वो जागे या सोये होते बेहोश हैं 
शक अपनों  पे करना नहीं 
यह  कैसा प्यार
जहां अपनों पे भरोसा नहीं 
प्यार में जन्मो  के से बंधन 
जुड़ जाते हैं 
हम वो नहीं जो बीच  रास्तो में से 
मुड  जाते हैं 
माना जरुरी होता है प्यार जताना 
पर उससे भी जरुरी है प्यार को निभाना 

Monday, February 25, 2013

एक खता  हो गयी है हमसे 
जो  दूर हुए हैं तुमसे 
इरादे तो साफ़  थे 
कुछ दिन पहले हम साथ  थे 
कुछ ही पलों में वो  हफ्ता निकल गया 
देखा हमारा  प्यार और गहरा हो गया 
लगता था ऐसे 
हम तुम हो गए थे जैसे 
बैठे बैठे सोच रहे हैं 
हम तुम चुप हैं
फिर भी कैसे  बोल रहे हैं 

Sunday, February 24, 2013

वक़्त मिल जाये जो 
एक काम जरूर करना 
एक दफा फुटबॉल जरुर खेलना ............
श्रीकृष्ण की गीता से 
श्रीराम जी की सीता से 
जीने का आधार 
मन में सद्विचार 
जो ना ल पाए हो तो 
एक दफा फुटबॉल जरुर खेलना ............
खोया आत्मविश्वास , 
जो पाना चाहते हो 
अपना अंधविश्वास ,
मिटाना चाहते हो तो 
एक दफा फुटबॉल जरुर खेलना ............
जो मुझपे अविश्वास हो 
ना ही मुझपे ऐतबार हो 
तो खुद को  साबित करने की खातिर 
एक दफा फुटबॉल जरुर खेलना ..................
Once SWAMI VIVEKANAND JI says no worry if you don't have time for bhagwat geeta but give some time to play football .See the kind of concentration each player is giving to football .We can give  that same concentration to our goals in life .

Football :-

बड़ा सा मैदान 
नहीं कोई नादान 
सब एक से बढ़कर एक हैं 
कुछ करते अटैक हैं 
है दोनों को जीतने का यकीन 
इस खेल के हैं बहुत से शौक़ीन 
जब भी एक जीत के करीब हुआ 
हर  देखने वाला भी उस जीत में  शरीक हुआ 
जो भूली किसी ने तहजीब 
तो रेफ़री ने दिखाई लाल , पीली तस्वीर 
एक ने छलांग  लगाई 
तो दूजे ने माथे से गेंद गोल पार पहुचाई 
देखो जरा देखो जीतने वालो की अंगडाई 
यह खेल एक अद्भुत है नज़ारा 
जैसे खुले समंदर में ,ये ही एक किनारा 

Friday, February 15, 2013

बसंत - पंचमी :-
रोज़ सुबह -सुबह 
दौड़ते -दौड़ते 
कुछ सोचते -सोचते 
पहुँच ही जाते थे 
कभी-कभी डांट भी खाते थे 
फिर भी सुधरना  नहीं चाहते थे 
हाँ क्लास में ध्यान जरुर लगाते थे 
जैसे बिन शरारत के बचपन बेकार है 
वैसे ही समझे बिना रटना  बेकार है 
हम जानते थे ,
तभी तो पढाई में मन  अपना लगाते थे 
करने  को पढाई तो हम सब ही करते हैं 
पर कुछ ही हैं जो बुराइयों से जीवन भर लड़ते हैं 

Wednesday, February 13, 2013

बातें करते-करते घण्टों गुजारे :- 
चुभता है तेरा साथ ना  होना 
बहते झरनों की 
पक्षियों के चेह्चाहने की 
बातें कुछ और ही होती है 
पर तुमसे दूर रहने की  
सजा हमें नामंज़ूर होती है 
बातें करते-करते घण्टों गुजारे 
फिर भी मेरा रोम-रोम बस तुम्हे ही पुकारे 
जिद्द है हर पल तेरे साथ बिताने की 
बन के हवा तुझ में ठहर जाने की 
तेरी हर एक याद में बस जाने की 

Tuesday, February 12, 2013


और तू हमें अज़ीज़ हो गया :-
बदलने का दौर शुरू हुआ 
और देखते ही देखते समा बदल गया 
जो हमें  पसंद न था 
आज हमें  अज़ीज़  हो गया 
कल तक तो वक़्त गुजार रही थी 
आज वक़्त का गुजरना पहेली हो गया 
अब तक जो बेहतर था 
वो अब बेहतरीन हो गया 
तू जैसे मेरे दिल के करीब हो गया 
तरकीबें सोचती  हूँ  तुमसे मिलने मिलाने की 
अब खबर नहीं खुद  की 
याद आती है हमें तेरे साथ गुज़ारे तरानों   की 


Monday, February 11, 2013


ज़रा गौर से सुनो .................
खामोशियाँ चुपचाप चली जा रही हैं 
हवा भी होले होले गुनगुना रही है 
वक़्त थम सा गया है 
ज़रा गौर से सुनो 
एक और दौर का आगाज़ हो रहा है 
प्यार का एक नया सिलसिला 
जहाँ नहीं होगा कभी भी कोई गिला 
गम का न रहेगा कोई ठोर -ठिकाना 
शक भी पायेगा जैसे  खुद को अनजाना 
भूल कर भी गलतियों  को ना  दोहराना 
कुछ ऐसा ही होता है रिश्तो का निभाना 


मासूमियत ऐसी की..............
वो तन्हा  ही बैठी थी 
उसे होश ही कहाँ था 
वो सोच  में पड़ी थी 
आँखों के सामने ये कैसी घटा घनघोर थी 
जो देखे उसे वो भी खो जाए 
इतनी सादगी को कोई कहाँ से लाये 
मासूमियत ऐसी की  हुस्न  लजा जाये 
पूछे बिना भी ना  रहा जाए 
कौन है वो जिसकी आस में बठी हो टकटकी लगाए 

                                                       Deepak Saraswat sent us an awesome poetry

जब हुआ था प्यार
ये सोचा नहीं था यार
की इसमें ऐसा भी होता है
कभी हंसी
कभी आँसूं
कभी मिलना
कभी बिछुड़ना
कभी रूठना
कभी मनाना
रात भर जागना तो देर से उठना
फिर कभी ऐसा होता है की
ख्वाब ही ज़िन्दगी बन जाते हैं
कुछ के पूरे हो जाते हैं
और कुछ उनके पूरे होने का इंतज़ार करते करते
न जाने कितनो की ज़िन्दगी को सवार जाते हैं
कुछ ऐसा ही होता है प्यार
हम क्या से क्या हो जाते हैं

पूछो एक सवाल खुद ही से ..........
हद हो जाती है कभी -कभी
पल भर में दूर हो जाते हैं सभी
वक़्त के  बदलते
हालातो के चलते
हम खो जाते हैं कभी-कभी
हर किसी के जीवन में
कभी हार तो कभी जीत में
एक बैचैनी सी हो जाती है
हम क्या चाहते हैं
बस एक यही बात
क्यूँ हम भूल से जाते हैं
 बेफिक्री में हम कहाँ से कहाँ निकल जाते हैं
होती है जो सुबह तो खुद ही पे तरस खाते हैं
जरा पूछो एक सवाल खुद ही से
जिस पल  चाहते हैं दूसरो  का साथ
उसी पल खुद ही को तन्हा  क्यूँ  छोड़ जाते हैं

Friday, February 8, 2013


खूब  तेरा  प्यार..............
हो रही थी सुबह चांदनी  सी जगमग 
खिली -खिली  थी दोपहर और हुई बरखा झमाझम 
शाम भी पलके बिछाये थी  बैठी 
अपने दिल की  फिर तू क्यूँ न कहती 
तेरे मेरे मिलने की शाम  है  आई 
आप बीती हम दोनों ने  सुनाई 
 खूब  तेरा  प्यार और खूब है उसकी गहराई 

Thursday, February 7, 2013

हम है नादान :-
होठों की नमी
सासें थमी
आँखें रुकी 
वहीँ दूर कहीं 
कुछ तो है जो है सही 
दिन कब कैसे गुजर गया 
मुझे होश कहाँ 
तू ही तू नज़र आती है देखू जहां 
कुछ अलग सा है एहसास 
हुआ खुद ही से जैसे अनजान 
हो जाए  जो  खता 
समझा देना हमें की हम है नादान 

Wednesday, February 6, 2013


और प्यार हुआ :-
क्या करें
कैसे सहें
किससे कहें
बात जो  जुबान पे आने से पहले
साथ वो जो पल तेरे संग गुजरे
नहीं रब से कोई गिला
अब हर फूल है  खिला - खिला  
क्या थी खता
रब भी था जैसे रूठा -रूठा
बरसो बरस थे बीत गए
तेरे साथ को हम तरस से थे गए
इत्मीनान हुआ
जीना मेरा आसान हुआ
हमें तुमसे प्यार हुआ
भूल गए जो इंतज़ार हुआ

Friday, February 1, 2013

हसरतों के बिखरने का इंतज़ार क्यूँ करे 
किसी की कीमत समझने को 
उसके  बिच्छ ड़ने का इंतज़ार क्यूँ करे 
हारना जीतना 
रोना मुस्कुराना 
बैठे -बैठे आँखों का नम सा हो जाना 
कभी इतराना कभी मिट्टी  में मिल जाना 
डर में चिल्लाना 
अपनों पे गुर्राना 
कभी -कभी अच्छा होता है बस चुप रह जाना 

sad shayari

sad shayari मेरी आदतों में तू शुमार है मेरी चाहतो की तू एक किताब है तुझे लेके कहीं दूर जाने की कशमकश में हूँ क्योंकि तू मेरी हमदम मेरी...