Saturday, October 6, 2012


मन  की आवाज़ :-
क्या तेरे ख्वाब  ,
क्या तेरी आशाएं I
कुछ के हाथ में किताब  ,
क्यूंकि कल  हैं परिक्षाएं I
उसके  जीवन में बहार  ,
वो हर पल जीने को तैयार I
उस सा  बनने को हर कोई बेकरार I
क्यूँ नहीं करते खुद को स्वीकार I
एक बार सिर्फ एक बार,
कर लें  क्यूँ ना  खुद पे ऐतबार I
हम सब में बसता है एक कलाकार I
वो चुप ही रहता है ,
हर दर्द भी सहता है ,
बस निभा जाता है अपना  किरदार  I

sad shayari

sad shayari मेरी आदतों में तू शुमार है मेरी चाहतो की तू एक किताब है तुझे लेके कहीं दूर जाने की कशमकश में हूँ क्योंकि तू मेरी हमदम मेरी...