मन की आवाज़ :-
क्या तेरे ख्वाब ,
क्या तेरी आशाएं I
कुछ के हाथ में किताब ,
क्यूंकि कल हैं परिक्षाएं I
उसके जीवन में बहार ,
वो हर पल जीने को तैयार I
उस सा बनने को हर कोई बेकरार I
क्यूँ नहीं करते खुद को स्वीकार I
एक बार सिर्फ एक बार,
कर लें क्यूँ ना खुद पे ऐतबार I
हम सब में बसता है एक कलाकार I
वो चुप ही रहता है ,
हर दर्द भी सहता है ,
बस निभा जाता है अपना किरदार I