Monday, March 4, 2013


जशन  में डूबे हो 
या अपनों दे नाल  बैठे हो 
कोई पूछे कैसे हो 
तो कहदो चाहे जैसे हो 
क्यूँ करते हो देरी की Table सज चुकी है 
आओ की अपनी maggi  बन चुकी  है 


sad shayari

sad shayari मेरी आदतों में तू शुमार है मेरी चाहतो की तू एक किताब है तुझे लेके कहीं दूर जाने की कशमकश में हूँ क्योंकि तू मेरी हमदम मेरी...