Tuesday, February 26, 2013

बदल जाते हैं रिश्ते 
बयान हो जाते हैं किस्से 
छुपाना कितना भी चाहो 
छुपा ना  पाओगे 
हमारे  बिना रह भी ना  पाओगे 
अब सिलसिला कुछ ऐसा होगा 
कहना चाहेंगे कितना कुछ 
पर मिलना ना होगा  
यह एहसास हर किसी ने 
अपने ही लफ्जो में बयान किया है 
वक़्त के साथ साथ 
तो कुछ ने उसे भूला भी दिया है 
जो प्यार करते हैं वो मिलते रोज़ हैं 
वो जागे या सोये होते बेहोश हैं 
शक अपनों  पे करना नहीं 
यह  कैसा प्यार
जहां अपनों पे भरोसा नहीं 
प्यार में जन्मो  के से बंधन 
जुड़ जाते हैं 
हम वो नहीं जो बीच  रास्तो में से 
मुड  जाते हैं 
माना जरुरी होता है प्यार जताना 
पर उससे भी जरुरी है प्यार को निभाना 

sad shayari

sad shayari मेरी आदतों में तू शुमार है मेरी चाहतो की तू एक किताब है तुझे लेके कहीं दूर जाने की कशमकश में हूँ क्योंकि तू मेरी हमदम मेरी...