बयान हो जाते हैं किस्से
छुपाना कितना भी चाहो
छुपा ना पाओगे
हमारे बिना रह भी ना पाओगे
अब सिलसिला कुछ ऐसा होगा
कहना चाहेंगे कितना कुछ
पर मिलना ना होगा
यह एहसास हर किसी ने
अपने ही लफ्जो में बयान किया है
वक़्त के साथ साथ
तो कुछ ने उसे भूला भी दिया है
जो प्यार करते हैं वो मिलते रोज़ हैं
वो जागे या सोये होते बेहोश हैं
शक अपनों पे करना नहीं
यह कैसा प्यार
जहां अपनों पे भरोसा नहीं
प्यार में जन्मो के से बंधन
जुड़ जाते हैं
हम वो नहीं जो बीच रास्तो में से
मुड जाते हैं
माना जरुरी होता है प्यार जताना
पर उससे भी जरुरी है प्यार को निभाना