ज़रा गौर से सुनो .................
खामोशियाँ चुपचाप चली जा रही हैं
हवा भी होले होले गुनगुना रही है
वक़्त थम सा गया है
ज़रा गौर से सुनो
एक और दौर का आगाज़ हो रहा है
प्यार का एक नया सिलसिला
जहाँ नहीं होगा कभी भी कोई गिला
गम का न रहेगा कोई ठोर -ठिकाना
शक भी पायेगा जैसे खुद को अनजाना
भूल कर भी गलतियों को ना दोहराना
कुछ ऐसा ही होता है रिश्तो का निभाना