सुख दुःख के फेर में
ज़िन्दगी की अंधेर में
खो जाए
वो प्यार नहीं
सुबह की सैर में
सागर की लहर में
बह जाए
वो यार नहीं
हर पल एक रोशनी सी
इन आँखों के सामने है रहती
तू निर्मल सी
गंगा बन मेरे जीवन में है बहती
चलते चलते
यूँहीं खिलखिला उठते हैं
लिखते लिखते
तेरी बातों में खो जाया करते हैं
हम हैं अब राहत में
जाने कब दिन गुजर जाता है
तेरी चाहत में