रिश्ता तेरा मेरा सबसे अनूठा
दो अंजानो का मिलना
जैसे फूलों का खिलना
बारी बारी हम तुम
हो जाते हैं गुमसुम
पूछे तो कहते हैं
ऐसी ही होती है प्यार की धुन
जिक्र औरो का कभी हमने किया नहीं
तेरे सिवा और किसी को अपना समझा भी नहीं
वक़्त के साथ साथ
अपनी कमीयों को हमने रुकसत यूँ किया
जैसे तू मेरी बाती मैं तेरा दिया