कुछ बातें अब भी अनसुनी हैं
घूम रहे थे समंदर में
कुछ उलझे पड़े थे बवंडर में
अब किनारों से हमने किनारा कर लिया
जीत लिया ये जहान
आसमान की और हमने इशारा कर दिया
मोहब्बत में लोगो को संवरते देखा है
हमने तो तुम्हे अपने अक्श में देखा है