Thursday, March 7, 2013

ये पल हम यूँ ही ना बिताएंगे 
फूलों से आँगन अपना सजायेंगे 
मौसम बदलते रहे 
हम मिलते बिछदते  रहे 
हर पल एक छुभन  सी  सहते रहे 
तुमसे मिलने  को तरसते रहे 
और खुद  ही से कहते रहे 
ये रुत भी निकल जाएगी 
रात और कितनी गेहराएगी 
वो दिन भी आएगा 
जब तेरी-मेरी सांसें एक हो जायेंगी 
जिस ओर जायेंगे तू हमसे टकराएगी 

sad shayari

sad shayari मेरी आदतों में तू शुमार है मेरी चाहतो की तू एक किताब है तुझे लेके कहीं दूर जाने की कशमकश में हूँ क्योंकि तू मेरी हमदम मेरी...