Wednesday, December 19, 2012

शौक नहीं होता:-
क्या सोचते हो 
जो करते हो 
सूत समेत भरते हो 
फिर भी गुनाह करके 
गंगा की और टकते   हो 
रहमत होगी उसकी यकीन रखते हो 
तो फिर क्यूँ अपनों  से बैर रखते हो 
क्या मुझे हक नहीं जीने का 
शौक नहीं होता है 
कुछ को अपने अश्कों  को पीने का 
तो कुछ को गम जीने  का 
वो तो हालात ही बिगड़ जाते हैं 
तभी तो कुछ लोग वक़्त के आगे 
खुद को तन्हा  ही पाते है 
होता  जो विश्वास  का है  सहारा 
तो मिल ही जाता है जिंदगी को किनारा 

sad shayari

sad shayari मेरी आदतों में तू शुमार है मेरी चाहतो की तू एक किताब है तुझे लेके कहीं दूर जाने की कशमकश में हूँ क्योंकि तू मेरी हमदम मेरी...