तुम्हारा जिक्र ना हो
आँखों में शरारत हो और
तेरा साथ न हो
कोई जीना चाहे और
तुमसा अंदाज़ ना हो
रहे कहीं भी और
तुम्हे हम याद ना हो
जो ऐसा हुआ
मैं मैं ना कहलाऊंगा
मैं खुद को ना भूल जाऊंगा
फिर एक शाम जब तुम्हारे संग बिताऊंगा
भूली बिसरी यादों में खो जाऊंगा
तुम्हारा नाम बार बार दोहराऊंगा
धीरे से कान में तुम्हारे
अपनी शरारत की दास्तान सुनाऊंगा
तुम्हारे प्यार की खातिर खुद को
नज़र अंदाज़ भी करजाउंगा
जो हुआ उसे जाने दो
प्यार के रंग हमें बरसाने दो