Saturday, March 16, 2013

प्यार  की कविता हो 
तुम्हारा जिक्र ना हो 
आँखों में शरारत हो और 
तेरा  साथ न हो 
कोई जीना चाहे और 
तुमसा  अंदाज़ ना हो 
रहे कहीं भी और 
तुम्हे हम याद ना हो 
जो  ऐसा हुआ 
मैं मैं ना कहलाऊंगा 
मैं खुद को ना भूल जाऊंगा 
फिर एक शाम जब तुम्हारे संग बिताऊंगा 
भूली बिसरी यादों में खो जाऊंगा 
तुम्हारा नाम बार बार दोहराऊंगा 
धीरे से कान में तुम्हारे 
अपनी शरारत की दास्तान सुनाऊंगा 
तुम्हारे प्यार की खातिर खुद को 
नज़र अंदाज़ भी करजाउंगा 
जो हुआ उसे जाने दो 
प्यार के रंग हमें बरसाने दो 

sad shayari

sad shayari मेरी आदतों में तू शुमार है मेरी चाहतो की तू एक किताब है तुझे लेके कहीं दूर जाने की कशमकश में हूँ क्योंकि तू मेरी हमदम मेरी...